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मीटरिंग मोड क्या है? Camera Metering Modes in Hindi

यह आर्टिकल- ‘DSLR मीटरिंग मोड क्या है? Camera Metering Modes in Hindi’ डिजिटल कैमरा और डीएसएलआर की Metering (मीटरिंग) और विभिन्न Metering Modes (मीटरिंग मोड) के बारे में बताता है।

Metering Mode (मीटरिंग मोड) समझने से पहले आइए जानते हैं DSLR में मीटरिंग क्या होती है।

DSLR मीटरिंग मोड क्या है? Photography Metering Hindi

डिजिटल कैमरे की मीटरिंग (Metering) क्या होती है?

DSLR metering in Hindi- कैमरा मीटरिंग - एक्सपोजर मीटर
कैमरे का Light Meter या Exposure Meter

जब आप अपने कैमरे के व्यूफाइंडर में देखते हैं आपको एक horizontal बार या डंडा दिखाई पड़ता है जिसके बीच में जीरो (0) होता है और उसके एक ओर (-) और एक तरफ (+) दिखाई पड़ता है। यह horizontal बार बायीं या दायीं ओर मूव करता है।

यह कैमरे का लाइट मीटर है, जो एक लाइट मीटरिंग सेंसर की मदद से सब्जेक्ट के एक्सपोजर (Exposure) यानी वस्तु से रिफ्लेक्ट होने वाले प्रकाश की रीडिंग दिखाता है। आपके कैमरे की सेटिंग के हिसाब लेफ्ट या राइट किसी भी ओर (-) (+) हो सकता है।

अंडरएक्सपोज्ड सीन

लाइट मीटर का काम है सब्जेक्ट से रिफ्लेक्ट होकर आने वाली लाइट की मात्रा बताना। इससे आपको यह तय करने में सुविधा होती है कि अपने सब्जेक्ट या सीन के लिए आप कैमरे में क्या एक्सपोजर सेट करेंगे। एक्सपोजर सेट करने के लिए आप अपने कैमरे में तीन चीजों की मदद लेते हैं – शटर स्पीड, अपर्चर और आईएसओ।

ओवरएक्सपोज्ड सीन

जब आप कैमरे को किसी ब्राइट सब्जेक्ट पर फोकस करते हैं तो लाइट मीटर का बार ग्राफ (+) की तरफ बढ़ता है। और जब आप कम ब्राइटनेस वाली वस्तु पर फोकस करते हैं तो यह संकेत (-) की तरफ बढ़ा हुआ दिखाई पड़ता है। यानी (+) की तरफ बार का बढ़ना बताता है कि सीन ओवर एक्सपोज्ड है, जबकि इसके विपरीत (-) की तरफ बार का बढ़ा होना सीन के अंडरएक्सपोज्ड होना बताता है।

यदि आपके सीन या सब्जेक्ट का ब्राइटनेस संतुलित है, यानी बैलेंस्ड एक्सपोजर है, तो लाइट मीटर का बार जीरो (0) पर या उसके आस-पास होगा। इस तरह, कैमरे के मीटरिंग सेंसर की मदद से आप अपनी फोटो के एक्सपोजर सेट कर सकते हैं।

DSLR/डिजिटल कैमरे में मीटरिंग मोड (Metering Mode) क्या है?

आधुनिक DSLR कैमरे में तीन मीटरिंग मोड्स होते हैं- 1. Matrix Metering (Nikon), Evaluative Metering (Canon) 2. Center Weighted Metering और 3. Spot Metering. ये तीन प्रकार के Metering Mode इमेज के तीन अलग-अलग एरिया पर पड़ने वाली लाइट को सेंस कर मीटरिंग तय करते हैं।

metering modes hindi -मीटरिंग मोड
DSLR मीटरिंग मोड

1. Matrix Metering (Nikon), Evaluative Metering (Canon) क्या है?

निकॉन और कैनन इसे अलग-अलग नाम देते हैं। मीटरिंग के इस मोड में संपूर्ण सीन या फ्रेम के कुल एक्सपोजर का एवरेज इवैल्युएशन लिया जाता है। इस मोड में फ्रेम के किसी खास हिस्से की बजाए संपूर्ण एरिया को ध्यान में रखा जाता है, लेकिन सीन के जिस बिंदु पर कैमरा फोकस करता है उसे अधिक तवज्जो दी जाती है।

Matrix Metering या Evaluative Metering Mode में फ्रेम के जिस हिस्से पर आप फोकस करते हैं उस प्वॉइंट को प्रायोरिटी देते हुए समग्र सीन का एवरेज एक्सपोजर लिया जाता है। एवरेज एक्सपोजर को प्राथमिकता देने की वजह से ज्यादातर कैमरों में यह डिफॉल्ट मीटरिंग मोड होता है।

Matrix Metering या Evaluative Metering मोड का कब करना चाहिए?

जैसा कि आपने जाना यह मीटरिंग मोड संपूर्ण सीन या फ्रेम के एवरेज एक्सपोजर को महत्व देता है। इसलिए, इसका इस्तेमाल ऐसी स्थितियों में करना ठीक रहता है जहां आपके लिए फ्रेम के अंदर हर हिस्से का एक्सपोजर लगभग समान महत्व का हो। ज्यादातर फोटोग्राफी इसी मीटरिंग मोड में की जाती है। जैसे कि, सामान्य लैंडस्केप फोटोग्राफी, लोगों की ग्रुप फोटोग्राफी।

2. Center Weighted Metering क्या है?

सेंटर वेटेड मीटरिंग में कैमरे का लाइट-सेंसर फ्रेम के मिड्ल एरिया की लाइटिंग सेंस करता है। यह एरिया पूरे सीन या फ्रेम की तुलना में छोटा होता है और फ्रेम के बीच वाले हिस्से को कवर करता है।

Center Weighted Metering का इस्तेमाल कहां करना चाहिए?

सेंटर वेटेड मीटरिंग का इस्तेमाल ऐसे सिचुएशन में करना सही होता है जहां आपका सब्जेक्ट पूरे सीन की तुलना में थोड़ा छोटा हो और फ्रेम के बीच वाले हिस्से को कवर करता हो। जब आपका फोकस फ्रेम के बीच वाले हिस्से पर हो यानी जब आपका सब्जेक्ट फ्रेम के बीच वाले हिस्से में हो, लेकिन बहुत छोटा न हो, तब आपको इस मीटरिंग मोड का उपयोग करना चाहिए। 

पोर्ट्रेट फोटोग्राफी में यह मीटरिंग मोड आपके काम आता है। या फिर मान लीजिए, आपका सब्जेक्ट कोई चिड़िया या जानवर है जो फ्रेम के बीच हिस्से के बाड़े भाग को कवर करता है और उसके पीछे शाम के वक्त का चमकीला सिंदूरी आसमान है। ऐसे में, यह मीटरिंग मोड आपको सब्जेक्ट का सही एक्सपोजर फिक्स करने में मदद करता है।

3. Spot Metering क्या है?

स्पॉट मीटरिंग में केवल उसी बिंदु के एक्सपोजर को महत्व दिया जाता है जिसपर आप कैमरे को फोकस कराते हैं। फ्रेम के बाकी हिस्से के एक्सपोजर पर ध्यान नहीं दिया जाता। इसमें कैमरे का मीटरिंग सेंसर सीन के केवल उस बिल्कुल छोटे से हिस्से की लाइटिंग रीड करता है जहां कैमरा फोकस करता है। पूरे सीन की तुलना यह एक छोटा सा सब्जेक्ट हो सकता है। इस मोड में कैमरे की मीटरिंग के जिम्मेदारी होती है उस छोटी सी वस्तु की लाइट रीड करना ताकि आप उसे ठीक से एक्सपोज कर सकें। 

Spot Metering का इस्तेमाल कहां करना चाहिए?

जब आप किसी एक particular सब्जेक्ट पर कैमरे को फोकस करते हैं जो पूरे सीन या फ्रेम की तुलना में आकार में बहुत छोटी हो। साथ ही, उस छोटे से सब्जेक्ट की लाइटिंग और सीन के बाकी हिस्से की लाइटिंग में फर्क हो। जैसे, रात के अंधेरे आसमान में चमकता हुआ चांद।

यहां अगर कैमरा पूरे आकाश की लाइट कैलकुलेट करने लगे तो उस हिसाब से एक्सपोजर काफी अधिक रखना होगा ताकि आसमान साफ दिखे। लेकिन, इससे आपका चांद पूरी तरह से सफेद होकर ओवर एक्सपोज्ड हो जाएगा और आपको चांद की एक बेकार तस्वीर मिलेगी।

लेकिन जब आप Spot Metering का इस्तेमाल कर कैमरा चांद पर फोकस करेंगे तो केवल चांद की रोशनी को मीटर किया जाएगा, ताकि केवल चांद का संतुलित exposure प्राप्त हो।

इसी तरह, बर्ड फोटोग्राफी में चिड़िया अगर दूर में है तो वह सीन का एक छोटा सा एरिया लेती है। ऐसी स्थिति में, यदि आप चिड़िया की सही तरह से एक्सपोज्ड फोटो लेना चाहते हैं तो आपको Spot Metering का इस्तेमाल करना चाहिए।

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