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एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle)- एक्सपोजर कंट्रोल के 3 कारक…

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) : How to set camera exposure- in Hindi

पिछ्ले आलेख में आपने संक्षेप में जाना कि photography में एक्सपोजर (exposure) क्या होता है। आपने यह भी जाना कि कैमरे में खुद से exposure सेट कर फोटो लेने के क्या फायदे हैं। आइए, अब फोटोग्राफी में exposure-control के बारे में in-depth जानकारी लेते हैं और जानते हैं एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) के बारे मेें कि Exposure मनमाफिक सेट करना किन factors पर निर्भर करता है। एक्सपोजर ट्राएंगल के इन तीन फैक्टर्स से परिचित हो जाने के बाद आप समझ जाएंगे कि ये फोटोग्राफी के 3 स्तंभ की तरह हैं।

Camera Exposure-Control के लिए हमें कैमरे के इन तीन फीचर्स (Exposure Triangle) को समझना है-

1. अपर्चर (aperture)
2. शटर स्पीड (shutter speed) और
3. आईएसओ (ISO)

कैमरे के सेंसर या फिल्म तक पहुंचने वाली लाइट की मात्रा मुख्य रूप से इन्हीं तीनों के संतुलित प्रयोग से कंट्रोल की जाती है। मैनुअल मोड में शूट करने के लिए, या दूसरे शब्दों में कहें तो camera exposure मैनुअली सेट करने के लिए आपको मूल रूप से इन्हीं तीन फैक्टर्स के प्रयोग में कुशलता हासिल करनी होगी।

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) : Aperture, Shutter Speed और ISO की मदद से करें exposure-control

1. अपर्चर (Aperture) : Exposure Triangle का पहला स्तंंभ

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) : aperture
अपर्चर का एक्सपोजर पर प्रभाव (शटर स्पीड और ISO कॉन्स्टेंट रखने पर )

अपर्चर दरअसल कैमरे का नहीं बल्कि लेंस का फीचर है। Aperture का अर्थ छिद्र या सूराख होता है। लेंस जितना खुला होता है यानी, उसकी सूराख जितनी बड़ी होती है उससे होकर प्रकाश की उतनी ही अधिक मात्रा गुजरती है। अपर्चर को f नंबर से इंगित करते हैं। यह नंबर जितना छोटा होगा लेंस का छिद्र उतना ही बड़ा होगा।

उदाहरण के लिए f/1.8 लेंस से होकर f/5.6 लेंस की तुलना में अधिक लाइट कैमरे के सेंसर या फिल्म तक पहुंचेगी। f नंबर और अपर्चर में उलटा रिश्ता होता है। इसे अच्छी तरह याद कर लें। तकनीकी शब्दों में कहें तो यह inversely proportional होता है। f नंबर जितना छोटा, अपर्चर उतना ही बड़ा! और अपर्चर जितना बड़ा, उतनी ही अधिक लाइट!

लेंस का maximum aperture उसका सबसे महत्वपूर्ण फीचर होता है। यह जितना अधिक होता है लेंस उतना ही महंगा होता है। उदाहरण के लिए, f/1.8 लेंस f/5.6 लेंस की तुलना में महंगे होंगे। अपर्चर लेंस के अंदर का फीचर है, लेकिन इसे सेट करने की सुविधा आपके कैमरे में होती है। पॉइंट & शूट कैमरे में आप इसे डिजिटली चेंज कर सकते हैं जबकि एसएलआर कैमरों में इसे कैमरे के कमांड डायल या अन्य बटन की मदद से चेंज कर सकते हैं। अपर्चर का f नंबर लेंस के ऊपर लिखा होता है।

पॉइंट & शूट कैमरे का लेंस कैमरे में अटैच्ड होता है। यह उसका अभिन्न हिस्सा होता है जिसे हम अलग नहीं कर सकते। एसएलआर या डीएसएलआर में हम अपनी जरूरत के हिसाब से अलग-अलग f नंबर वाले अलग-अलग लेंस अटैच कर सकते हैं। मैनुअल मोड वाले कैमरे के यूजर मैनुअल में अपर्चर सेट करने का तरीका दिया होता है जो हर कैमरे के लिए अलग-अलग होता है।

2. शटर स्पीड (Shutter Speed) : एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) का दूसरा स्तंंभ

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) : shutter speed

शटर स्पीड का एक्सपोजर पर प्रभाव (अपर्चर और ISO कॉन्स्टेंट रखने पर )

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) का दूसरा महत्वपूर्ण फैक्टर है शटर स्पीड। कैमरे का शटर एक खिड़की की तरह होता है जिसके खुलने से लाइट डिजिटल कैमरे में उसके सेंसर तक, और फिल्म कैमरे में उसकी फिल्म तक पहुंचती है। तस्वीर लेने के लिए कैमरे को सब्जेक्ट पर फोकस करने के बाद ज्योंहि हम शटर बटन दबाते हैं तो एक क्लिक की आवाज होती है। यह इसी शटर के खुलकर बंद होने की आवाज है। शटर के खुलकर बंद होने का समय शटर स्पीड कहलाता है। जरूरत के हिसाब से इसे आप अपने कैमरे में सेट कर सकते हैं। इसे s द्वारा व्यक्त किया जाता है

उदाहरण के लिए इसे ऐसे समझें–  s = 1/100 के मायने यह हुए कि शटर की खिड़की सेकेंड के सौवें हिस्से के लिए खुली और फिर बंद हो गई। शटर यदि 1/250 सेकेंड के लिए खुला तो s = 1/250 कहेंगे। जाहिर है, शटर स्पीड 1/250 शटर स्पीड 1/100 की तुलना में अधिक है। यानी, शटर स्पीड जितनी अधिक होगी sensor को लाइट उतनी ही कम मिलेगी, यानी exposure म होगा

कैमरे की अधिकतम शटर स्पीड (maximum shutter speed) उसकी एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है। उदाहरण के लिए निकॉन के 3400 कैमरे की शटर स्पीड 1/4000 सेकेंड जबकि निकॉन के महंगे प्रोफेशनल कैमरे D5 की शटर स्पीड 1/8000 सेकेंड होती है। मैनुअल मोड वाले कैमरे के यूजर मैनुअल में शटर स्पीड सेट करने का तरीका दिया होता है जो हर कैमरे के लिए अलग-अलग होता है।

3. आइएसओ (ISO) : Exposure Triangle का तीसरा स्तंंभ

एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) : ISO
ISO का एक्सपोजर पर प्रभाव (अपर्चर और शटर स्पीड कॉन्स्टेंट रखने पर )

फिल्म रोल (जिसे आम भाषा में नेगेटिव कहा जाता था) वाले कैमरे में जो काम फिल्म करती थी वही काम डिजिटल कैमरे में उसका सेंसर करता है। सेंसर कैमरे के अंदर उसके सबसे पिछ्ले हिस्से में होता है। लेंस से होकर कैमरे के अंदर आने वाला प्रकाश अंततः sensor तक पहुंचता है। कैमरा में ISO उसके sensor की प्रकाश संवेदनशीलता, यानी ‘लाइट सेंसिटिविटी’ है। ISO को 50, 100 … से लेकर कई हजार के number स्केल में व्यक्त किया जाता है। इन्हें ISO number कहते हैं।

हर कैमरा-सेंसर का मिनिमम और मैक्सिमम ISO number निर्धारित होता है। इसी रेंज के अंदर आप अपनी जरूरत के हिसाब से अपने कैमरे में फोटो के लिए ISO सेट कर सकते हैं। आप जितना ऊंचा ISO सेट करेंगे लाइट के प्रति sensor उतना अधिक सेंसिटिव होगा, और परिणामस्वरूप फोटो का exposure बढ़ेगा और वह अधिक ब्राइट होगी।

डिजिटल कैमरे के सेंसर की अधिकतम ISO number भी उसकी एक बड़ी विशेषता होती है। यह कम रोशनी में उसके फोटो लेने की क्षमता तय करती है और अंततः फिर इससे कैमरे की कीमत तय होती है। मैनुअल मोड वाले कैमरे के यूजर मैनुअल में ISO सेट करने का तरीका दिया होता है, जो हर कैमरे के लिए अलग-अलग होता है।

Conclusion

संक्षेप में, 1. कम shutter speed=> ज्यादा लाइट => ज्यादा exposure  2. बड़ा aperture => छोटा f number => ज्यादा लाइट => ज्यादा exposure 3. बड़ा ISO number=>  ज्यादा लाइट => ज्यादा exposure। Exposure Triangle में कैमरे से जुड़े ये तीन पैरामीटर्स या मानक exposure निर्धारित करने वाले तीन सबसे महत्वपूर्ण कारक आते हैं। इन तीनों कारकों में से एक, दो या तीनों को बदलकर एक्सपोजर नियंत्रित किया जा सकता है।

तो, ये थे एक्सपोजर निर्धारित करने वाले तीन तकनीकी factors जिन्हें एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle) कहते हैं। अभी हमने exposure को समझने के लिए इन्हें संक्षेप में जाना है। आगे हम इनपर विस्तार से अलग-अलग चर्चा करेंगे। ध्यान दें, एक्सपोजर कंट्रोल के बिना फोटोग्राफी गियरलेस मोपेड चलाने जैसा है।

यदि आप हमेशा ऑटो मोड पर चलने वाले साधारण पॉइंट & शूट कैमरे से तस्वीर लेते हैं तो आप इन्हें सीखने की मिहनत से मुक्त हैं। लेकिन, यदि आपका कैमरा एसएलआर, डीएसएलआर, मिररलेस, या प्रोफेशनल श्रेणी के पॉकेट कैमरा है, तो आपको इन्हें सीखना चाहिए, ताकि आपकी तस्वीरों का exposure control आपके अपने हाथों में हो। इन high efficiency कैमरों को आप ऑटो मोड पर इस्तेमाल करें तो यह बहुत आलस्य भरी बात होगी, है न!

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One thought on “एक्सपोजर ट्राएंगल (Exposure Triangle)- एक्सपोजर कंट्रोल के 3 कारक…

  • Sumit Singh

    Knowlegfull article!!👍

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